Monday 3 June 2019

*** - आहटें - कुछ मेरे मन की कुछ तेरे मन की

खटखटाने की ज़रूरत नहीं
दस्तकें ही काफी हैं
मन में हलचल मचाने को

आहटें पैदा कर ही देंगी तूफान
मुलाकातों की कश्तियाँ किनारे लाने को

तेरी सोच से कहीं ऊंचा
आसमान है मेरे प्रेम का
जितना प्रखर जाओगी
मन मचल जाएगा खो जाने को

वो आहटें कुछ बेचैन करेंगी
विरह में गीले नैन करेंगी
पर ये सूरज अडिग है आसमान में
तेरी पीड़ाओं को गले लगाने को

अपनी हँसी की पहचान बनाना
दूसरे तो बहाना ढूंढेंगे ही रूठने का
तुम जो खड़ी हो उन्हें मनाने को

अपने अंदर जो समाई हैं नदियां तूने
बहा दे मेरे समंदर में
मैं हूँ ना बैठा तुझे अपनाने को

खुद का ख्याल ये सोच कर रख लेना
कि कोई पागल है उस ओर भी
तेरी एक हल्की सी मुस्कान पाने को

दस्तकें ही काफी हैं
मन मे हलचल मचाने को
दस्तकें ही .......

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