Monday 3 June 2019

*** - तुम्हारी यादें

मेरी यादों को मुकम्मल होने के लिए
तेरी हिचकियों की ज़रूरत नहीं
तेरी यादों में फना होने के लिए
मुझे सिसकियों की ज़रूरत नहीं

तेरी यादों का मौसम आज सुहाना लगे
एक शाम और चुरा लूं अगर बुरा ना लगे (inspired)

तुझसे रूबरू होने को
आज फिर दिल करता है
करीब से गुजारे हुए लम्हें जीने को
आज फिर दिल करता है

तेरी आँखों ने कल मुझे
मेरी अहमियत का अहसास कराया है
तू लफ़्ज़ों से भले ना कहे
दिल ने दिल को चुपके से बताया है

तेरी हल्की सी छुअन और
प्यार की मीठी सी सिहरन
वो कांधे पर तेरा सिर
और मेरे मन की उलझन

कहीं तू वो हीर तो नहीं
जिसका रांझा था मैं
जो किसी का ना हुआ
पर तुझसे सांझा था मैं

आज तुझे अपने प्यार की
हद दिखाने का मन करता है
उन्हीं लम्हों को दोबारा
जी जाने का मन करता है

करीब से गुजारे हुए लम्हें
फिर जी जाने को मन करता है

~ राहुल मिश्रा ~

No comments:

Post a Comment