Monday 10 June 2019

*** - बिन फासलों की नजदीकियां

नजदीकियां अब इतनी हो गई हैं
कि ना आसमान दिखता है ना ज़मीं
खो गया हूँ तेरे आग़ोश में इस क़दर
कि ना बुराइयां दिखती हैं ना कमी

दूर तक साथ चलना है तो
हाथ थामे रखना होगा
फ़ासला दरम्यां कुछ इतना हो
कि ना हवा गुजर पाये ना नमी

करीब ना होकर भी तुझे अब
महसूस करने लगा हूँ मैं
नज़दीकियों का आलम ये है
कि ना शुबहा है ना फहमी

किस्से खुद के खुद से गढ़ता हूँ
हर हिस्से में तुझको रखता हूँ
हर हिस्सा मुझसे कहता है
कि ना सुकून मिलता है ना कमी

~ राहुल मिश्रा ~

Monday 3 June 2019

*** - ये सिर्फ बातें नहीं हैं

जिन्हें आज तुम बातें कहती हो
बस वो ही याद रहेंगी एक दिन
बाकी सब धुंधला हो जाएगा

इतनी करुणा है इन बातों में कि
मुरझाया हुआ फूल उस दिन
कली बनकर फिर खिल जाएगा

हवाओं में उड़ती हुई अपनी वो जुल्फें
दूर से निहारता हुआ किसी को देखोगी
तो ये रांझा फिर याद आएगा

जो खुद एक मिसाल है तारीफों की
उसके लिए मैं क्या तारीफ करूँ
एक दिन खुदा खुद उसकी अहमियत
इस दुनिया को समझायेगा

उसका कोमल हॄदय उसकी आवाज़
सब इतना प्यारा है कि आसमान खुद
उसके कद के आगे सिर झुकायेगा

तुम मेरी हो सिर्फ मेरी हो
मेरा यही खयाल एक दिन
तुम्हें फिर मेरे पास लेकर आएगा

तुम्हारी मुस्कान ही तुम्हारी पहचान है
यही याद दिलाने के लिए
कोई फिर एक दिन
तुम्हारे इतने पास आएगा

बस बातें ही याद रहेंगी
बाकी सब धुंधला हो जाएगा

~ राहुल मिश्रा ~

*** - आहटें - कुछ मेरे मन की कुछ तेरे मन की

खटखटाने की ज़रूरत नहीं
दस्तकें ही काफी हैं
मन में हलचल मचाने को

आहटें पैदा कर ही देंगी तूफान
मुलाकातों की कश्तियाँ किनारे लाने को

तेरी सोच से कहीं ऊंचा
आसमान है मेरे प्रेम का
जितना प्रखर जाओगी
मन मचल जाएगा खो जाने को

वो आहटें कुछ बेचैन करेंगी
विरह में गीले नैन करेंगी
पर ये सूरज अडिग है आसमान में
तेरी पीड़ाओं को गले लगाने को

अपनी हँसी की पहचान बनाना
दूसरे तो बहाना ढूंढेंगे ही रूठने का
तुम जो खड़ी हो उन्हें मनाने को

अपने अंदर जो समाई हैं नदियां तूने
बहा दे मेरे समंदर में
मैं हूँ ना बैठा तुझे अपनाने को

खुद का ख्याल ये सोच कर रख लेना
कि कोई पागल है उस ओर भी
तेरी एक हल्की सी मुस्कान पाने को

दस्तकें ही काफी हैं
मन मे हलचल मचाने को
दस्तकें ही .......

*** - तुम्हारी यादें

मेरी यादों को मुकम्मल होने के लिए
तेरी हिचकियों की ज़रूरत नहीं
तेरी यादों में फना होने के लिए
मुझे सिसकियों की ज़रूरत नहीं

तेरी यादों का मौसम आज सुहाना लगे
एक शाम और चुरा लूं अगर बुरा ना लगे (inspired)

तुझसे रूबरू होने को
आज फिर दिल करता है
करीब से गुजारे हुए लम्हें जीने को
आज फिर दिल करता है

तेरी आँखों ने कल मुझे
मेरी अहमियत का अहसास कराया है
तू लफ़्ज़ों से भले ना कहे
दिल ने दिल को चुपके से बताया है

तेरी हल्की सी छुअन और
प्यार की मीठी सी सिहरन
वो कांधे पर तेरा सिर
और मेरे मन की उलझन

कहीं तू वो हीर तो नहीं
जिसका रांझा था मैं
जो किसी का ना हुआ
पर तुझसे सांझा था मैं

आज तुझे अपने प्यार की
हद दिखाने का मन करता है
उन्हीं लम्हों को दोबारा
जी जाने का मन करता है

करीब से गुजारे हुए लम्हें
फिर जी जाने को मन करता है

~ राहुल मिश्रा ~

*** - चाहत का इज़हार

पहली ही नज़र में पढ़ लिया था मैंने तुम्हें
बस कुछ वक्त दिया था संभलने के लिए
कब तक छिपा पाओगी तुम
और छिपा कर कहाँ जाओगी तुम

मेरे पास आने से डरती हो
पर दूर रहकर भी तो तड़पती हो
कब तक खुद से खुद को दूर रख पाओगी तुम
सच कहो क्या मेरे बगैर कुछ पल भी रह पाओगी तुम

अब बात आदत से बढ़कर ज़रूरत की हो गई है
अब बात मोहब्बत से बढ़कर इबादत की हो गई है
क्या मन मे रखकर चैन से सो पाओगी तुम
क्या इतना पाकर भी मुझे खो पाओगी तुम

इतने दिनों में मैंने जितना जाना है तुम्हें
सब भूलकर प्यार से गले लगाना है तुम्हें
समय कम है तो क्या हुआ
खुद को भूलकर बस अपनाना है तुम्हें

खुद को भूलकर बस अपनाना है तुम्हें

~ राहुल मिश्रा ~