Thursday 21 August 2014

Ticket, Me & IRCTC - A rhyme of true incident

सत्य घटना पर आधारित एक और कविता 

आज सुबह की यह घटना है,
सिर्फ घटना नहीं दुर्घटना है l
७:४० का भरा अलार्म था,
नींद में भी याद यह काम था l
अलार्म से पहले ही हम तैयार थे,
और जंग लड़ने को बेकरार थे l
जैसे ही IRCTC की घड़ी ने आठ बजाया,
हमने अविलम्ब पुनः Submit दबाया,
अगले ही पल छिपा हुआ Book Now उभर आया l
उसके बाद जो जद्दोज़हद अगले ४५ सेकंड हुई,
४५ मिनट की गयी कसरत सा पसीना निकल आया l
अंत में जब confirm ticket की झलक पायी,
स्वतः ही ईश्वर के लिए आभार की ध्वनि निकल आयी l
पर यकीन न हमे खुद पर ना IRCTC पर हुआ,
फिर तसल्ली के लिए हमने Booked Ticket History को छुआ l
जी हाँ मौका दीवाली पर भोपाल जाने का था,
हाल ही में हुए कुछ बुरे अनुभवों को भुलाने का था l
खैर, अब त्यौहार, त्यौहार की तरह ही मनाया जायेगा,
स्टेशन और एजेंट का चक्कर नहीं लगाया जायेगा l
यह भी एक अलग किस्म की अनुभूति है,
जो टिकट से वंचित रहे उनसे सहानुभूति है ll