Friday 11 May 2018

प्रेम में संवाद और संवाद में प्रेम


प्रेम में संवाद और संवाद में प्रेम

श्याम तुम्हारे कांधे पर
सिर रखकर मैं खो जाती क्यूँ
सुनकर संगीत बांसुरी का
मैं तुममे ही रम जाती क्यूँ

तुम्हारे अंदर का अर्ध नर मैं हूँ
मेरे अंदर की अर्ध नारी तुम हो
प्रेम रूपी जीवन की नैया मैं हूँ
मेरे हृदय में बसी सवारी तुम हो

प्रेम बसा हो जीवन मे
तो स्वर्ग यहीं स्वर्गलोक यहीं
सन्यासी का तप यही
ब्रह्मज्ञान का आलोक यहीं

जीवन संघर्ष है भोग है
कभी आनंद कभी रोग है
जिस मन समाया प्यार है
उसी ने जीता संसार है

तुम विचलित ना हो राधे
ये रिवाज सभी को निभाना होगा
कभी शीतल हवा तो कभी अंगारे होंगे
अग्नि परीक्षा से गुजर कर हमे जाना होगा।।

#राधे_कृष्ण

~ राहुल मिश्रा ~

Tuesday 8 May 2018

विरह मिलन की बेला



संध्या काल के विचरण में
मुख देख यमुना के दर्पण में
राधा रानी दौड़ पड़ीं
अपने कान्हा की शरण में

राधिका बोलीं कान्हा से
क्यों ऐसा होता मेरे साथ
जब होते दूर नैनों से तुम
अच्छी ना लगती कायनात

क्या तुमने मेरी याद में
अश्रु संग प्रेम बहाया है

कन्हैया बोले प्रेम तुम्हारा
अपनी आंखों में बसाया है
फिर कैसे अमर प्रेम को
अश्रु संग बह जाने दूँ मैं
हर बूंद तुम्हारे प्रेम की
कैसे अभ्र जाने दूँ मैं

ना कामना ना वासना
ये प्रेम तप यही साधना
तुम बसीं हृदय में साक्षात
हर स्पंदन है आराधना

मिलन जीव का हो ना हो
हम आत्मा के मीत हैं
हर पीड़ाओं से परे हम तुम
एक दूजे के मनमीत हैं।।

#राधे_कृष्ण

~ राहुल मिश्रा ~

Monday 7 May 2018

प्रेम में संपूर्णता



प्रेम स्वयं में कभी पूर्ण नहीं होता
जो प्राप्त हो जाये वो सम्पूर्ण नहीं होता

प्रेम में मनुष्य परिपूर्ण होता है
मनुष्य में प्रेम कभी पूर्ण नहीं होता

राधा जब कृष्ण में होती हैं
तब वो पूर्ण होती हैं
कृष्ण जब राधा में होते हैं
तब वो सम्पूर्ण होते हैं

राधा कृष्ण संग में सर्वस्व हैं
अनंत पीड़ाओं के बीच प्रेम का वर्चस्व हैं

तुम राधा और मैं ही कृष्ण हूँ
तुम्हारी निरुत्तर अवस्था का मैं ही प्रश्न हूँ

हम कलयुग में प्रेम की सजीवता के उदाहरण हैं
जीवन की हर विकटता का एक मात्र निवारण हैं

तुम वृंदावन से चलकर यमुना तट पर आ जाना
मैं मथुरा की गलियों से आगे राह तुम्हारी देखूंगा

जो ढूंढ ना पाओ कभी मुझे तो नैनन अश्रु ना लाना
एकचित्त हो मुरली धुन से राह तुम्हें दिखलाऊंगा
एक कदम जो तुम बढ़ो दस कदम मैं आगे आऊंगा ।।

#राधे_कृष्ण

~ राहुल मिश्रा ~

Sunday 6 May 2018

प्रेम में जीवन और जीवन मे प्रेम



प्रेम बिन जीवन
तर्पण बिन समर्पण

भावनाओं बिन प्रीत
नयनों से परे मीत

आत्मा बिन देह
आकर्षण का स्नेह

सत्य बिन बंधन
मिलन का अभिनंदन

ध्यान बिन स्तुति
मिलन की अनुभूति

आशा बिन विश्वास
त्याग का अहसास

तुम बिन मैं
और मुझ बिन तुम

सब अपूर्ण है

तब एक मात्र श्री कृष्ण ही सम्पूर्ण हैं।।

#राधे_कृष्ण

~ राहुल मिश्रा ~