Monday, 7 May 2018

प्रेम में संपूर्णता



प्रेम स्वयं में कभी पूर्ण नहीं होता
जो प्राप्त हो जाये वो सम्पूर्ण नहीं होता

प्रेम में मनुष्य परिपूर्ण होता है
मनुष्य में प्रेम कभी पूर्ण नहीं होता

राधा जब कृष्ण में होती हैं
तब वो पूर्ण होती हैं
कृष्ण जब राधा में होते हैं
तब वो सम्पूर्ण होते हैं

राधा कृष्ण संग में सर्वस्व हैं
अनंत पीड़ाओं के बीच प्रेम का वर्चस्व हैं

तुम राधा और मैं ही कृष्ण हूँ
तुम्हारी निरुत्तर अवस्था का मैं ही प्रश्न हूँ

हम कलयुग में प्रेम की सजीवता के उदाहरण हैं
जीवन की हर विकटता का एक मात्र निवारण हैं

तुम वृंदावन से चलकर यमुना तट पर आ जाना
मैं मथुरा की गलियों से आगे राह तुम्हारी देखूंगा

जो ढूंढ ना पाओ कभी मुझे तो नैनन अश्रु ना लाना
एकचित्त हो मुरली धुन से राह तुम्हें दिखलाऊंगा
एक कदम जो तुम बढ़ो दस कदम मैं आगे आऊंगा ।।

#राधे_कृष्ण

~ राहुल मिश्रा ~

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