प्रेम बिन जीवन
तर्पण बिन समर्पण
भावनाओं बिन प्रीत
नयनों से परे मीत
आत्मा बिन देह
आकर्षण का स्नेह
सत्य बिन बंधन
मिलन का अभिनंदन
ध्यान बिन स्तुति
मिलन की अनुभूति
आशा बिन विश्वास
त्याग का अहसास
तुम बिन मैं
और मुझ बिन तुम
सब अपूर्ण है
तब एक मात्र श्री कृष्ण ही सम्पूर्ण हैं।।
#राधे_कृष्ण
~ राहुल मिश्रा ~
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