Monday, 8 June 2015

दर्द ज़ज़्बात रिश्ते और हम

दर्द - ज़ज़्बात - रिश्ते और हम

जब हम मुसीबत में होते हैं तो अपने भी अक़्सर रूठ जाया करते हैं
और हम अपना दर्द भूल कर उन्हें मनाने में अपना वक़्त ज़ाया करते हैं l
नतीज़ा सिफ़र होता है
पर वक़्त हर दर्द को मिटा देता है यही सोचकर
अपना दिल बहलाया करते हैं l
कर्म धर्म भोग और मोक्ष का संतुलन है जीवन
कुछ खुद समझते हैं कुछ उनको समझाया करते हैं l
ज़ज़्बात के साथ हालात भी संभालना ज़रूरी है
कभी दोनों संभल जाते हैं कभी दोनों बिखर जाते हैं l
रिश्ते नाज़ुक नहीं होते वरना बच जाते
वो तो कठोर होते हैं तभी तो टूट जाया करते हैं l
रिश्ते तो टूटकर जुड़ भी जायें लेकिन
रिश्तों में पड़ी गाँठ खुल भी जायें लेकिन
हम अनजान हैं उस हुनर से कि
बिना बल के रिश्ते कैसे चलाया करते हैं l
शायद इसीलिए जब जब वो रूठ जाया करते हैं
तब तब हम टूट जाया करते हैं l

~ राहुल मिश्रा ~

No comments:

Post a Comment