अल-सुबह पत्नी उवाच !
अल-सुबह पत्नी जी, बातों बातों में, दे बैठीं एक राय,
काश के आज मिल जाती, आपके हाथों की चाय l
हमने भी भावनाओं में बहकर, चढ़ा दिया हत्था चूल्हे पर,
गर्म दूध को कर दिया अर्पण, चायपत्ती संग शक्कर I
देखा पीछे जो पलटकर, प्रथम उबाल पश्चात,
पत्नी जी सीधे खड़ी थीं, बांधे अपने हाथ l
हमने भी ना छोड़ा मौका, मारना चाहा पहला चौका l
पीकर चाय हमारे हाथ की, अपने को तुम धन्य समझना,
इस अमृत को तुम अपने, सतकर्मो का पुण्य समझना l
पहली चुस्की के पश्चात, मुखड़ा दिया बताय,
जैसे सच में ग्रहण किया, अमृत रुपी चाय ll
धन्यवाद संग थोप दिया, प्रतिदिन का यह काम,
आज से आप ही छानिये, अमृत का यह जाम l
यह सुनकर अंदर ही अंदर, रोये हम अपनी किस्मत पर,
किस घड़ी में आँख खुली थी, किसका चेहरा देख कर ll
~ राहुल मिश्रा ~
अल-सुबह पत्नी जी, बातों बातों में, दे बैठीं एक राय,
काश के आज मिल जाती, आपके हाथों की चाय l
हमने भी भावनाओं में बहकर, चढ़ा दिया हत्था चूल्हे पर,
गर्म दूध को कर दिया अर्पण, चायपत्ती संग शक्कर I
देखा पीछे जो पलटकर, प्रथम उबाल पश्चात,
पत्नी जी सीधे खड़ी थीं, बांधे अपने हाथ l
हमने भी ना छोड़ा मौका, मारना चाहा पहला चौका l
पीकर चाय हमारे हाथ की, अपने को तुम धन्य समझना,
इस अमृत को तुम अपने, सतकर्मो का पुण्य समझना l
पहली चुस्की के पश्चात, मुखड़ा दिया बताय,
जैसे सच में ग्रहण किया, अमृत रुपी चाय ll
धन्यवाद संग थोप दिया, प्रतिदिन का यह काम,
आज से आप ही छानिये, अमृत का यह जाम l
यह सुनकर अंदर ही अंदर, रोये हम अपनी किस्मत पर,
किस घड़ी में आँख खुली थी, किसका चेहरा देख कर ll
~ राहुल मिश्रा ~