Friday, 23 December 2016

ग़लतफ़हमियां

ग़लतफ़हमियां

पहली मुलाकात से दोस्ती और दोस्ती से प्यार तक
कई बार हुई थीं ग़लतफ़हमियां
प्यार के लम्हों से तकरार तक, उन तकरीरों से फिर प्यार तक
कई बार हुई थीं ग़लतफ़हमियां
ऐसा नहीं है कि सिर्फ तकलीफ़ ही देती हों,
कुछ समय के लिए ही सही पर
कई बार  सुकून के मीठे पल भी दे जाती हैं ग़लतफ़हमियां
तुझे देखकर तुझे चाहकर तुझे पाने की आस पर
मेरे मन में कुछ अहसास भर जाती हैं ग़लतफ़हमियां
इज़हार के इंतज़ार में फिर इंतज़ार से इनकार तक
कई बार सही हैं ग़लतफ़हमियां
कभी हँसते तो कभी रोते आंसुओं में बही हैं ग़लतफ़हमियां
तेरे साथ चलते चलते स्वयं को उत्कृष्ट समझ बैठा था
क़दमों की हर आहट पर पाल बैठा था ग़लतफ़हमियां
जो होश आया तो सब कुछ जा चुका था
कुछ बचा था तो वो थीं ग़लतफ़हमियां

~ राहुल मिश्रा ~

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