Tuesday 27 January 2015

पहचान से परिणाम तक - "मैं - एक संक्षिप्त परिचय"

मैं - एक संक्षिप्त परिचय

मुझे सुर्ख़ियों में रहने का शौक नहीं,
सुर्खियां इंसान को मशहूर बना देती है l
में तो नीरव वादियों सा हूँ
जहाँ खामोश सी हवा भी शोर मचा देती है ll

पहचान से परिणाम तक

पहचान में अभिमान का छुपा हुआ सा अक्स है,
इसी अक्स की मौज में गुथा हुआ हर शख्स है l

स्वाभिमान से विरक्ति ने अभिमान को जगा दिया,
शिथिल सी आत्मशक्ति ने सम्मान को भगा दिया l

खोए हुए सम्मान को अभिमान ने ज्वलित किया,
स्वतः ही एक स्पर्श ने पुनः हमे आश्वस्त किया l

नैनो की लज्जा से कभी जगत में जो विख्यात थी,
असंख्य यंत्रणाएं भी की उसने आत्मसात थी l

ईमान पर अभिमान को हावी नहीं होने दिया,
आत्म की पवित्रता को मलिन नहीं होने दिया ll 

विश्वास का स्पर्श हमारी अंतरात्मा को छू गया,
अतः स्वाभिमान का पुनः ही बोध हो गया l

अब ना कभी पहचान ना अभिमान को अपनाना है,
स्वयं स्वयं की भार्या में आलोप करते जाना है l
आलोप करते जाना है ll

राहुल मिश्रा ~